IPO Investing Guide: जो लोग न्यूज चैनल देखने में रुचि रखते है, वे IPO के बारे में जानते ही होंगे। लेकिन आप यदि IPO के बारे में नहीं जानते? तो जान लीजी IPO का मतलब होता है – Initial Public Offering । आसान भाषा में समझाऊं तो जब कभी किसी प्राइवेट कंपनी को अपने बिजनेस के लिए पैसा चाहिए होता है, तो वह अपना IPO लाती है। वह कंपनी कोई कर्ज न लेकर अपनी कंपनी की हिस्सेदारी पब्लिक को बेचती है, जिससे अपने बिजनेस के लिए पैसे मिल सके ।

यह पैसे प्राइवेट कंपनी अपनी ग्रोथ या विस्तार के लिए इस्तेमाल कर सकती है। IPO में मिलने वाले पैसों के लिए कंपनी अपनी कुछ हिस्सेदारी को शेयर मार्केट में डाइल्यूट करती है और वे शेयर आम शेयरो की तरह ही भारतीय शेयर मार्केट NSE और BSE में ट्रेड करते है।

IPO लाने से पहले प्राइवेट कंपनी को अपने कंपनी के बारे में, बिजनेस मॉडल, प्रॉफिट या लॉस के लिए अपना prospectus पब्लिक ओर शेयर मार्केट NSE/BSE में अप्रूवल के लिए देना पड़ता है । यह prospectus के अप्रूवल के बाद ही IPO लॉन्च होता है, ओर आप उनकी तय कीमत पर बिडिंग कर सकते है। अलॉटमेंट के बाद आप उन शेयर को ट्रेड कर सकते है, या फिर कंपनी में लंबे समय तक इन्वेस्ट कर सकते है।

Mainboard IPO Tracker: Data from 2013-2025:

IPO Investing Mainboard IPO Tracker for FREE को इंडियन शेयर मार्केट में लॉन्च हुए IPOs में हुए Listing gains को ट्रैक करने के लिए बनाया गया है। क्योंकि नए इन्वेस्टर IPO में इन्वेस्ट करने की रुचि रखते है। इसमें आपको इंडियन शेयर मार्केट में साल 2013 से 2025 तक लॉन्च हुए सभी आईपीओ का डेटा मिलेगा। Mainboard IPO tracker में केवल आपको लिस्टिंग gains के इलावा और भी important जानकारी मिलेगी। जैसे कि आपकी फेवरेट कंपनी का आईपीओ किस issue price पर आया, कितन पैसा कंपनी इन्वेस्टर से मांग रही थी, ओर इसे कितने लोगों ने सब्सक्राइब किया ।

इसके इलावा आपके आईपीओ कब शेयर मार्केट में लिस्ट हुआ, अभी उसके शेयर का मार्केट प्राइस क्या चल रहा है और अभी तक कितना रिटर्न उस शेयर ने दिया है। लिस्टिंग के बाद आईपीओ की परफॉर्मेंस को ट्रैक करना है हमारा मुख्य लक्ष्य है। जिससे कि हम नए इन्वेस्टर को IPO Investing के लिए अच्छे से guide कर सकें ।

Mainboard IPO Tracker- Important Parameters:

  • Issuer Company: issuer कंपनी वो कंपनी है, जो अपना आईपीओ लेकर आने वाली है। यदि कंपनी के नाम के आगे प्राइवेट लिमिटेड लिखा है, इसका मतलब यह है कि अभी तक यह कंपनी पब्लिक नहीं हुई है ।
  • SYMBOL: कोई भी कंपनी शेयर मार्केट में आती है तो उस कंपनी का एक सिंबल NSE जारी करता है । BSE के केस में यह एक नंबर होता है । यह सिंबल लिख कर उस कंपनी का चार्ट या मार्केट प्राइस ढूंढा जा सकता है ।
  • Issue Size: इश्यू साइज का अर्थ है कि कितना कैपिटल कंपनी अपने शेयर के बदले मार्केट से ले रही है। कंपनी अपनी वैल्यूएशन के आधार पर अपना आईपीओ ला सकती है।
  • Issue Price: इश्यू प्राइस वह कीमत है, जिसके दाम पर कंपनी आईपीओ में अपना शेयर लाती है।
  • Subscribed: हर आईपीओ का एक सब्सक्रिप्शन रेट होता है, डबल, ट्रिप या इससे भी ज्यादा । इसका साफ-साफ अर्थ यह है कि हर एक इन्वेस्टर कैटेगरी में इसे कितने लोग आईपीओ के लिए अप्लाई करते है । अच्छी कंपनी में सब्सक्रिप्शन रेट ज़्यादा होता है, बाकी में कम होता है ।
  • Listing Date: आईपीओ में अप्लाई करने के बाद, जिस दिन कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट होती है, उसे लिस्टिंग डेट बोलते है। अक्सर आईपीओ प्रक्रिया के कुछ दिन बाद ही उसे NSE/BSE में लिस्ट करना अनिवार्य है।
  • Listing Price: आईपीओ के listing वाले दिन यदि कंपनी इश्यू प्राइस या इससे कम या इससे ज्यादा कीमत पर लिस्ट होती है, तो इसे लिस्ट प्राइस बोलते है। इश्यू प्राइस से ज्यादा प्राइस पर लिस्टिंग होने पर Listing Gain होता है, ओर लिस्टिंग प्राइस से कम प्राइस में लिस्टिंग होने पर Listing Discount बोला जाता है ।
  • CMP: इसका मतलब होता है, current market price, यानी आपकी कंपनी जिसका आईपीओ आया है, उसके शेयर का दाम आज की डेट में क्या है । ऊपर बताएं गए ट्रैकर में, शेयर प्राइस में कुछ समय का delay हो सकता है ।
  • Chg 1D: इसका मतलब है, चेंज इन 1 डे, यानी शेयर का आज के प्राइस में पिछले दिन के प्राइस के मुकाबले कितना बदलाव आया है । यह बदलाव रुपए/पॉइंट्स में दर्शाया गया है ।
  • pClose: pClose माने previous day close है, यानी कंपनी के शेयर का दाम एक दिन पहले क्या था ।
  • %Chg: एक दिन में शेयर के दाम में बदलाव को % में दर्शाया गया है । यदि यह हरे रंग में आ रहा है, तो पिछले दिन के मुकाबले आज के दिन कीमत बढ़ी है। यदि यह लाल रंग में है, तो पिछले दिन की तुलना में आज कीमत कम हुई है ।
  • 52w High: पिछले 1 साल में आईपीओ लाने वाली कंपनी की कीमत एक दिन में कितनी ज्यादा गई है, माने मैक्सिमम ।
  • 52w Low: पिछले 1 साल में कंपनी के शेयर प्राइस कितना कम हुई है, यानी उस कंपनी ने कितना लो बनाया है ।
  • Market Cap: मार्केट कैपिटलाइजेशन, माने कंपनी के शेयर की आज के डेट में क्या वैल्यू है । इसे जोड़ने के लिए कंपनी की शेयर की आज के समय कीमत को कंपनी के सभी शेयर को गुना करना होगा ।
  • Chart: कंपनी के शेयर के दाम के घटते-बढ़ते ट्रेड को chart सेक्शन में दर्शाया गया है ।
  • Chg since Listing: यह हमारे ट्रैकर का सबसे कमाल का feature है, इसे यह बताया गया है कि जिस भी कीमत पर कंपनी की लिस्टिंग हुई है, ओर उसकी आज की कीमत में कितने % बदलाव आया है ।